ग़ज़ल साहित्य में काव्य की बेमिसाल विधा है. जो सदियों का सफर तय करने बाद, आज भी उसी चाव और शौक़-ओ-शग... ग़ज़ल साहित्य में काव्य की बेमिसाल विधा है. जो सदियों का सफर तय करने बाद, आज भी ...
मुहोब्बत के दरिया में हम भी डूब जाते । प्यार का दुश्मन अगर ये जमाना न होता ।। मुहोब्बत के दरिया में हम भी डूब जाते । प्यार का दुश्मन अगर ये जमाना न होता ।।
सूरज तू कितना भी इतराये तुझे तो रोज ढलना ही है। सूरज तू कितना भी इतराये तुझे तो रोज ढलना ही है।
तुम क्यूँ चली गई ऐसे मेरे प्यार को ठुकरा कर। तुम क्यूँ चली गई ऐसे मेरे प्यार को ठुकरा कर।
ए वक्त, उन तक मेरी आवाज न पहुँच पायी, क्या इसी का नाम है बेवफाई l ए वक्त, उन तक मेरी आवाज न पहुँच पायी, क्या इसी का नाम है बेवफाई l